दोस्तों mystical finance ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है। इस लेख में हम आपको support और Resistance के बारे में पूरी जानकारी देंगे। यदि आप सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस सीखना चाहते हैं परंतु आपको कही से भी पूरी जानकारी नही मिल रही है तो आप सही जगह पर आए हैं। इस लेख को पढ़ने के बाद आपके मन में सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बारे में जो भी सवाल हैं उनका आपको उत्तर मिल जायेगा।
(toc)
जानिए शेयर बाजार में Support और Resistance क्या होते है? Support and Resistance in hindi
सपोर्ट और रेसिस्टेंट को यदि हम सरल भाषा में समझे तो सपोर्ट का मतलब होता है एक जगह जहा से कोई स्टॉक या इंडेक्स सहारा लेता है। जबकि इसके विपरीत रेसिस्टेंट का मतलब होता है एक प्राइस जहा से शेयर का भाव गिरना शुरू होता है। टेक्निकल एनालिसिस में इसे सपोर्ट और रेसिस्टेंट कहा जाता है। सपोर्ट को डिमांड जोन के अनुसार ही समझा जाता है और रेसिस्टेंट एक सप्लाई जोन है। सपोर्ट रेसिस्टेंट के जरिए यह समझा जाता है कि किसी स्टॉक को किस समय खरीदना है और किस समय पर बेचना है। परंतु यह ही सब कुछ नही है टेक्निकल एनालिसिस में इसके अलावा भी बहुत कुछ होता है।
Trading में support क्या होता है
जैसा कि हमने आपको बताया कि सपोर्ट एक ऐसा जोन होता है जहां पर से एक स्टॉक सहारा लेकर उपर की ओर बढ़ता है। यदि कोई स्टॉक का भाव 1000 रुपए से गिरना शुरू होता है और गिरते गिरते 700 रुपए के भाव पर आ जाता है। और इस भाव को देखकर इन्वेस्टर्स को लगता है कि यह परफेक्ट भाव है इंटर करने के लिए और सभी छोटे और बड़े इन्वेस्टर्स उस स्टॉक को खरीद लेते हैं तो वो स्टॉक का भाव वहां पर से बढ़ जाता है। और इस केस में 700 का भाव एक सपोर्ट के तरह कार्य करता है।
उदाहरण के लिए
जब कोई स्टॉक अपने सपोर्ट जोन के आस पास ट्रेड होता है तो वहां से उस स्टॉक के भाव के उपर जाने और बढ़ने की अधिक संभावनाएं होती हैं। लेकिन हर बार सपोर्ट सही प्रकार से काम नही करता। कई बार स्टॉक का भाव अपने पूरा सपोर्ट जोन को तोड़कर नीचे चला जाता है ऐसे में यदि कोई स्टॉक अपने पुराने सपोर्ट को तोड़कर शेयर का भाव घटने लगे तो वो सपोर्ट नही रहता है।
जब कभी भी सपोर्ट टूटता है तो यह सपोर्ट के तरह नहीं बल्कि रेसिस्टेंट की तरह काम करता है। सपोर्ट टूटने के कई कारण होते हैं। क्योंकि मार्केट लगातार बढ़ता और घटता रहता है और मार्केट में हर तरह के मूवमेंट की संभावना बनी रहती है।कभी भी मार्केट में किसी भी और मूवमेंट आ सकता है। जब लगातार एक सपोर्ट के जरिए स्टॉक का भाव बढ़ता है तो लगातार उस सपोर्ट पर टेस्ट होने से सपोर्ट कमजोर होने लगता है।
उदाहरण।
Support बनने के कारण
अभी तक आप समझ गए होंगे कि सपोर्ट क्या होता है और इसको कैसे देखा जाता है। आपको पता चल गया होगा कि सपोर्ट कैसे काम करता है, पर क्या आपने सोचा कि आखिर सपोर्ट बनता कैसे है? तो चलिए कुछ कारणों के बारे में जानते हैं जिससे सपोर्ट बनता है।
ROUND NUMBER
राउंड नंबर्स के बारे में आपको पता ही होगा जैसे 50- 100-200 इस प्रकार के नबर राउंड नंबर होते हैं। मान लीजिए कोई शेयर 87-93 पर ट्रेड हो रहा है और वो गिर कर 50 पर आ जाता है। तो ऐसी स्तिथि में वो एक राउंड नंबर पर पहुंच चुका है ऐसे में उस शेयर के भाव के बढ़ने की काफी संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
Valuation of company
जब कोई शेयर का प्राइस नीचे गिर रहा होता है और अपनी कंपनी के वैल्यू के आस पास आ जाता है। ऐसे में उस शेयर या स्टॉक के वहां उस प्वाइंट पर सपोर्ट बनाकर उपर बढ़ने की संभावना होती है। Valuation हर कंपनी की अलग अलग होती है।
आर्थिक कारण
कई बार gdp और ब्याज दर भी एक स्टॉक के सपोर्ट जोन को बदल सकती है। यदि अर्थव्यवस्था में कोई नकारात्मक चीजे होती हैं तो इस केस में सपोर्ट के टूटने का खतरा भी बना रहता है। परंतु कई बार इसके कारण एक नया और अच्छा सपोर्ट बनता है।
Trading में Rasistant क्या होता है
चलिए अब यह भी जान लेते हैं कि शेयर बाजार और ट्रेडिंग में Rasistance क्या होता है और Resistance कैसे काम करता है। रेजिस्टेंस का साफ मतलब एक जोन है जहा पर प्राइस आने के बाद रुकती है और एक बड़ी गिरावट आ सकती है। रेजिस्टेंस से भाव के गिरने की संभावनाएं बढ़ती हैं परंतु यह ही समय सही हो ऐसे नही है।
इसे एक उदाहरण के जरिए समझने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए कि एक शेयर का भाव 50 रुपए पर है और वो 50 से पढ़कर 100 पर पहुंचता है। और जिसने सस्ते ने खरीदा तो उसको अभी मुनाफा हो रहा होगा।
जब भाव 100 पर फूचेगा तो अधिकतर निवेशक अपना प्रॉफिट book कर लेंगे। और मुनाफा वसूली होगी जिसके कारण उस शेयर का प्राइस नीचे आएगा। और 100 रूपी का भाव इस स्टॉक के लिए रेजिस्टेंस जब होगा। इस कारण इस शेयर के लिए सपोर्ट 50 पर और रेजिस्टेंस 100 पर बनेगा। 100 के भाव पर अधिकांश बार लोग अपना निवेश हटाकर अपना मुनाफा बुक कर लेंगे। अब आप समझ गए होने कि रेजिस्टेंस कैसे बनता है और कैसे काम करता है।
उपर के एक उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि बैंकनिफ्टी में .... पर एक पिछला रिजिएटेंस था। और जब इसने अपने रेजिस्टेंस को तोड़ा तो यह फिर से नीचे आया। और जब दूसरी बार ...... पर आया तो उसने फिर बैंकनिफ्टी के लिए रेजिस्टेंस का काम किया और रेजिस्टेंस का काम किया। रेजिस्टेंस एक जोन होता है न की कोई नंबर एक छोटे जोन को रेजिस्टेंस माना जाता है।
जैसे कि आपको पता होगा और हमने सपोर्ट के बारे में जाना था कि सपोर्ट टूटने पर पर वो एक रेजिस्टेंस के माफिक काम करता है। और इसके दूसरी तरफ जब रेजिस्टेंस टूटता है तो वो एक सपोर्ट के भांति काम करता है। चलिए अब जन लेते है कि रेजिस्टेंस के बनने के क्या क्या कारण होते हैं।
Rasistance बनने के कारण
सपोर्ट टू रेजिस्टेंस
राउंडनंबर रेजिस्टेंस
ओवरवेल्यू रेजिस्टेंस
फिबोनाछी 50% रेजिस्टेंस लेवल
शेयर बाजार में आर्थिक जोखिम होने की काफी सारी संभावनाएं होती हैं। इस लेख को पढ़ने के बाद यदि आप सीधे शेयर बाजार में उतर जाते है और अपना नुकसान करते है तो उसमे mystical finance की कोई जिम्मेदारी नही है। यह लेख सिर्फ शिक्षण के उद्देश्य से लिखा गया है। शेयर बाजार को बिना समझे और सीखे निवेश नही करना चाहिए। (alert-warning)
निष्कर्ष -
इस लेख से आपने जाना कि जब किसी भाव से एक या दो बार शेयर का भाव बढ़ता है तो ज्यादा चांस होते हैं कि उस शेयर का भाव उस जोन पर आने के बाद बढ़ेगा। जब लगातार यही घटना होती है तो उस जोन को सपोर्ट माना जाता है। वहीं इसके दूसरी ओर जब एक ही भाव से कई बार शेयर के भाव में गिरावट आती है तो उसे एक स्ट्रॉन्ग रेजिस्टेंस के रूप में देखा जाता है। हम आशा करते है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बारे में जान गए होंगे।