शुरुआती लोगों के लिए शेयर बाजार में fundamental Analysis क्या है/Fundamental Analysis in hindi

दोस्तों mystical finance ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है। आज हम जानेंगे कि fundamental analysis क्या होता है और फंडामेंटल एनालिसिस कैसे किया जाता है। अगर आपको जानना है कि शेयर बाजार में फंडामेंटल एनालिसिस कैसे किया जाता है और फंडामेटल एनालिसिस क्या होता है। तो इस लेख को पूरा ध्यान से जरूर पढ़े। इस लेख में हमने आपको फंडामेंटल एनालिसिस करने का सही तरीका और फंडामेंटल एनालिसिस के बारे में बेसिक से एडवांस तक आसान हिंदी भाषा में सिखाया हुआ है।

कुछ लोगो को लगता है कि फंडामेंटल एनालिसिस बहुत ही ज्यादा कठिन है इसके लिए बहुत ज्यादा फाइनेंस की समझ होनी चाहिए या तो accountant या ca की डिग्री होनी चाहिए तभी हम फंडामेंटल  एनालिसिस कर सकते हैं परंतु ऐसा नहीं है। यदि आप इस लेख को पूरा पड़ते हैं तो आप आसानी से फंडामेंटल एनालिसिस सीख सकते हैं और किसी भी स्टॉक की आप खुद से ही फंडामेटल एनालिसिस कर सकते हैं।


शुरुआती लोगों के लिए शेयर बाजार में fundamental Analysis क्या है/Fundamental Analysis in hindi


📖 Table of Contents ▼

    Fundamental analysis in share market

    आप इस ब्लॉग पर फंडामेंटल एनालिसिस सीखने के उद्देश्य से आए हैं तो आपको सबसे पहले अपने मन से यह निकाल देना चाहिए कि आपको शेयर मार्केट में फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए कोई बड़ी डिग्री की आवश्यकता है ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आप बिना डिग्री के भी फंडामेंटल एनालिसिस कर सकते हैं बस इसके लिए आपको बिजनेस की थोड़ी बहुत समझ होनी चाहिए और आपको यह समझना होगा कि कंपनी कैसे काम करती है। तो चलिए जानते हैं कि फंडामेंटल एनालिसिस के लिए आपको शुरुआत कैसे करनी है।

    Website for fundametal analysis 

    यदि आपको फंडामेंटल एनालिसिस करनी है तो आपको सबसे पहले एक ऐसी वेबसाइट की आवश्यकता होगी जिस पर कि आप सारी कंपनियों का डाटा देख सकें। इसके लिए आप कोई भी वेबसाइट जैसे screener का उपयोग कर सकते हैं या फिर आप अपने ब्रोकर जिसके साथ आपका डिमैट अकाउंट है। उसके अंदर से फंडामेंटल एनालिसिस का डाटा ले सकते हैं परंतु ब्रोकर पे बहुत कम डाटा मिलता है।और सबसे अच्छा तरीका है कि आप screener के जरिए ही फंडामेंटल एनालिसिस की शुरुआत करें।

    Company work profile

    जब आप किसी भी कंपनी की फंडामेंटल एनालिसिस करते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि वो कंपनी क्या काम करती है। यानी कि उस कंपनी के प्रोडक्ट क्या है वो क्या सर्विसेज दे रही है। आपको कंपनी के बिजनेस मॉडल और सेक्टर के बारे में जानकारी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए हम hindustan petrolium कंपनी का डाटा देखते हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले screener पर आ जाना है  और सबसे ऊपर के सर्च बार में कंपनी का नाम सर्च करना है। जब आप कंपनी का नाम सर्च करोगे तो आपको पूरा डाटा मिल जायेगा। जहां पर आपको एक अबाउट का एक्शन दिखता है जहा से आप कंपनी के बारे में जानकारी ले सकते हैं।  hindustan पेट्रोलियम का मैन काम  cruid ऑयल एंड पेट्रोलियम प्रोडक्ट बनाने का है।

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    Company sector detail

    जब आप फंडामेंटल एनालिसिस करते हैं किसी शेयर की तो आपको यह भी देखना होता है कि कंपनी कौन से सेक्टर में काम करती है और उसका क्या फ्यूचर होगा। आपको यह देखना है कि जिस सेक्टर में कंपनी काम कर रही है इस सेक्टर में उस कंपनी की मोनोपॉली है कि नहीं साथ ही साथ आपको यह ध्यान में रखना है कि उस कंपनी और उस सेक्टर का फ्यूचर में ग्रोथ होना जरूरी होता है।

    Value Analysis in fundamental Analysis
    फंडामेंटल एनालिसिस में वैल्यू एनालिसिस का मतलब होता है कि हम जिस शेयर को खरीदना चाहते हैं क्या वो अपनी intrensic value से कम पर मिल रहा है या ज्यादा में मिल रहा है। हमेशा हमें एक बात का ध्यान रखना है कि जिस शेयर को हम खरीदना चाहते हैं वो उसकी intrensic value से कम वैल्यू में मिले हमे कभी भी intrensic value से ज्यादा वाले शेयर को नहीं खरीदना है।

    ROCE OF COMPANY

    सबसे पहले हम ROCE का फुल फॉर्म जान लेते हैं। ROCE= Return On Capital Employed होता है। ROCE से यह पता चलता है कि कोई कंपनी अपने पैसे का किस प्रकार इस्तेमाल कर रही है और वो अपने पैसे को किस तरह से अपने बिजनेस को बढ़ाने में निवेश कर रही है और उस से कितना रिटर्न कमा रही है। कंपनी का ROCE कंपनी के निवेश के उपयोग से होने वाले लाभ को मापता है। ROCE की गणना के लिए एक फॉर्मूला होता है।

    ROCE=Earning / Capital Employed × 100


    यहाॅं earning कंपनी से प्राप्त होने वाला प्रॉफिट है और capital employed मतलब कंपनी के निवेशित पूंजी को बताता है। Roce निवेशकों को यह बताता है की कोई कंपनी अपने पूंजी का उपयोग कितनी अच्छी तरह से करती है।

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    ROE of Company

    ROE का मतलब होता है Return On Equity। इससे यह पता चलता है कि Invester द्वारा invest किए गए पैसे पर कंपनी कितना रिटर्न देती है। इसे आप screener पर आसानी से देख सकते हैं। Roe यदि 20% से अधिक होता है तो यह माना जाता है कि कंपनी अच्छे प्रॉफिट पर है और कंपनी अच्छा profit बना रही है। Roe की गणना आप सीधे ही screener से कर सकते हैं और इसका दूसरा तरीका आप फॉर्मूला का उपयोग करके कर सकते हैं।

    ROE = Net Income / shareholder's Equity × 100

    ROE जनरल रूप में 15% से अधिक होना चाहिए लेकिन यह इंडस्ट्री और सेक्टर के आधार पर अलग अलग हो सकता है। साथ ही यह जितना ज्यादा होता है कंपनी भी उतनी ही अच्छी मानी जाती है।

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    Dividend yield of company/ Dividend paying company

    कंपनी हमेशा अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने निवेशकों को देती है जिसे Dividend कहा जाता है। dividend कंपनी तभी देती है जब वो मुनाफा कमाती है। यदि कोई कंपनी प्रति सालाना dividend दे रही होती है तो इसका मतलब होता है कि वो कंपनी मुनाफे में है। और यह fundamental को मजबूत करता है। यदि कंपनी dividend देती है तो निवेशकों को लगता है कि वो अच्छी कंपनी है।
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    Quately result - 

    इसमें कंपनी के EPS, SALES और Net Profit का अध्ययन किया जाता है उनको देखा जाता है। यदि कंपनी अच्छा परफॉर्म करती है तो ये हर तिमाही बढ़ते हैं परंतु अगर कंपनी अच्छा नहीं कर पाती है तो यह लगातार गिर सकते हैं। अगर लगातार sales बढ़ती हैं तो माना जाता है कि कंपनी अच्छा परफॉर्म कर रही है और कंपनी निवेश करने के लिए अच्छी है।

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    Profit and loss Analysis of Company

    प्रॉफिट और लॉस fundamental analysis का एक महत्वपूर्ण analysis है जहा पर हमको प्रॉफिट और लॉस की गणना करनी होती है। इससे हमें यह पता चलता है कि कंपनी प्रॉफिट में है या नहीं। इससे सालाना कंपनी के परफॉर्मेंस के बारे में जानकारी मिलती है। Quater में कुछ समय खराब परफॉर्मेंस हो सकती है लेकिन सालाना में कंपनी की performance अच्छी होनी चाहिए और कंपनी प्रॉफिट में हर स्तिथि में होनी चाहिए।
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    Balence sheet of Company

    Balence sheet कंपनी की एक पूरी financial detail होती है जिसके जरिए आप कंपनी के बारे में कई सारी चीजों के बारे में पता कर सकते हैं। और कंपनी के बारे में बहुत कुछ जन सकते हैं लेकिन आपको बैलेंस शीट में कुछ चीजे देखनी होती हैं। जिनसे कि आप फंडामेंटल analysis में उनका उपयोग कर सकते हैं। Balence sheet में कुछ महत्वपूर्ण चीजे देखनी होती हैं जो ये हैं -


    • कंपनी की sales सालाना बढ़नी चाहिए।
    • कंपनी का प्रॉफिट हर साल बढ़ना चाहिए।
    • हर साल asits बढ़ने चाहिए।
    • Libilities ( खर्च ) हर साल काम होते रहना चाहिए।
    • कंपनी के पास फ्री कैश होना चाहिए।
    • कंपनी पर dept हर साल कम होते रहना चाहिए।
    • कैश फ्लो सालाना बढ़ना चाहिए।
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    यह सभी हमको किसी भी कंपनी के बैलेंस शीट में देखना होता है उस कंपनी के शेयरों का fundamental analysis करने के लिए। इसको ही balence sheet देखना कहा जाता है।

    Share holding pattern

    शेयर होल्डिंग पैटर्न कम्पनी के शेयर होल्डर को दर्शाता है। जिसमे कई सारे होल्डर्स होते हैं लेकिन हमको सिर्फ एक चीज पर ध्यान देना है जो कि है pramoter holding। Pramoter अगर कंपनी में अधिक होल्डिंग को मेंटेन रखते हैं तो इसका मतलब होता है कि कंपनी में सब कुछ ठीक चल रहा है। पर अगर pramoter लगातार अपनी होल्डिंग को कम कर रहे होते हैं तो इसका मतलब होता है की कंपनी में कुछ दिक्कत है और वो इसलिए अपनी होल्डिंग को कम कर रहे हैं। जिस कंपनी में pramoter होल्डिंग को कम कर रहे हैं हमें उस कंपनी में निवेश करने से बचना चाहिए।

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    Ratio Analysis In Fundamental Analysis

    Fundamental Analysis में Ratio Analysis बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। Ratio Analysis में मुख्य रूप से कुछ ratio देखने होते है जिनके आधार पर हम शेयर का Analysis करते हैं। तो चलिए जानते है कि Fhndamental Analysis में Ratio Analysis कैसे काम करता है। और हमको Ratio Analysis कैसे करना है।Ratio Analysis में हम 4 Ratio को अधिकतर ध्यान में रखते हैं और उनका एनालिसिस करते हैं।

    • PE Ratio
    • PB Ratio
    • Dept Ratio
    • Current Ratio

    PE Ratio

    PE ratio से यह पता चलता है कि जिस शेयर में हम निवेश करना चाहते हैं उस पर कितना निवेश करने पे हमको कितने का प्रॉफिट होगा। यह PE Ratio के द्वारा पता चलता है। उदाहरण के लिए मन लीजिए - एक कंपनी का PE Ratio 50 का है तो इस का मतलब होता है कि हमको 1 रुपया कमाने के लिए 50 का निवेश करना होगा  यानी कंपनी का PE Ratio जितना काम होता है वो कंपनी के शेयर और फंडामेंटल उतने ही अधिक मजबूत होते हैं।

    P B Ratio

    Pb Ratio एक ऐसा अनुपात है जो उस कंपनी के शेयर के मार्केट प्राइस से प्रति शेयर पर होने वाले लाभ को मापता है। इससे यह पता चलता है कि कंपनी का मूल्य बाजार मूल्य से ज्यादा है या कम और उस कंपनी पर निवेश करने पर हमे एक शेयर पर कितना रिटर्न मिलेगा। अगर pb ratio कम है तो इसका मतलब होता है कि कंपनी का शेयर सस्ता है और उसका प्रति शेयर पे होने वाला लाभ ज्यादा है। हमेशा हमको यह ध्यान में रखना होता है कि Pb Ratio जितना ज्यादा होता है वो कंपनी उतनी ही अच्छी होती है। 

    Dept Ratio

    कोई भी कंपनी अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए अलग अलग जगह से लोन लेती है जिसे dept कहा जाता है। Dept ratio में हमको यह पता करना होता है कि कंपनी ने equity के मामले में कितना लोन लिया हुआ है और कंपनी की उस लोन को अदा करने ( लोन pay करने ) की क्या क्षमता है। और कंपनी उसे पे करने में कितना समय लगाती है। Dept Ratio जितना कम होता है कंपनी के लिए वो उतना ही अच्छा होता है। 

    Current Ratio

    Current Ratio में हमको यह देखना होता है कि कंपनी के पास कितने एसिस्ट्स है और कितनी libilitites ( कंपनी के खर्च ) है। Assits प्रति सालाना बढ़ने चाहिए जबकि खबर या libilities सलाना घटनी चाहिए। Current Ratio निकालने का फॉर्मूला होता है - current Ratio= current asits / current libilities.
    Current Ratio जितना ज्यादा होता है कंपनी के लिए वो उतना ही अच्छा माना जाता है।


    इस लेख को सिर्फ और सिर्फ शिक्षण के उद्देश्य से लिखा गया है। यदि आप इस लेख को पढ़कर बिना शेयर बाजार को समझे शेयर बाजार में निवेश करते हैं और आपका नुकसान होता है तो mystical finance उसकी कोई जिम्मेदारी नही लेता है। हम कोई रिसर्च एनालिस्ट नही है शेयर बाजार में निवेश करने से पहले शेयर बाजार को भली भांति समझ लें और निवेश करने से पहले अपने एडवाइजर से संपर्क करें।


     निष्कर्ष- 

    हम आशा करते हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद आप यह समझ गए होंगे कि शेयर बाजार में fundamental Analysis क्या है? और आप fundamental Analysis करना सीख गए होंगे। इस लेख में जो भी बताया गया है उसे आप आसानी से किसी भी screener पर देख सकते हैं। इस लेख में हमने fundamental Analysis को पूरा और आसान भाषा में समझाने की कोशिश की हुई है ताकि आप आसानी से fundamental Analysis सीख सकें और अपने शेयर बाजार और फाइनेंस के ज्ञान को बढ़ा सकें।

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